के कविता का संघर्ष लाया रंग, महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश महिला आरक्षण विधेयक पर महिलाओं के साथ के कविता का जश्न

दिल्ली/ हैदराबाद। महिला आरक्षण विधेयक ने आज पहले पायदान पर क़दम रखते हुए कानून बनने की दिशा में अपनी यात्रा आरंभ कर दी। आज से 27 साल पहले केन्द्र की देवेगौड़ा सरकार ने इसे पहली बार 1996 में संसद में पेश किया था। अब संसद के दोनों सदनों के बहुमत परीक्षण से गुजरने के बाद देश की राष्ट्रपति इस पर कानून की मुहर लगा देंगी। लेकिन जब भी इसके इतिहास और संघर्ष का जिक्र होगा तब तब बीआरएस की तेजतर्रार नेता व पूर्व सांसद के कविता का नाम इसके साथ अवश्य लिया जाएगा। सड़क से लेकर संसद तक और जंतर-मंतर से लेकर सभी दलों के नेताओं को लिखे पत्र तक उनका वर्षों का संघर्ष अविस्मरणीय रहेगा। के कविता ने संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के जनप्रतिनिधित्व को लेकर अनेकों बार संसद में आवाज उठाई। जंतर-मंतर मंतर पर कड़कड़ाती सर्दियों में धरना-प्रदर्शन किया और हाल ही में 47 दरों के नेताओं को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करने की भावुक अपील की। जैसे ही केन्द्रीय मंत्रीमंडल के अनुमोदन की खबर फैली तो हैदराबाद में आधी रात को ही बड़ी संख्या में महिलाएं के कविता से मिलने पहुंच गईं। देखते ही देखते पूरा आकाश हर्षोल्लास और आतिशबाज़ी के रंग से रंग गया। के कविता ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आधी आबादी का संघर्ष का पहला चरण आज पूरा हुआ। नारी सशक्तिकरण में महिला आरक्षण मील का पत्थर साबित होगा। क्योंकि अब नारी के हाथ में नारी के लिए कानून बनाने की शक्ति आ जाएगी।

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