भारत राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर 5 सितंबर को भारत में राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रुप में मनाया

भारत के राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर 5 सितंबर को भारत में राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है। पूरे देश में मनाया जाने वाला यह दिन हमें अपने शिक्षकों के अद्वितीय योगदान को पहचानने की अनुमति देता है। शिक्षक छात्रों के जीवन की महत्वपूर्ण कड़ी है, जो उन्हें समृद्ध बनाते हैं।

सक्षम फाउंडेशन के अध्यक्ष रूमी सेठ ने बताया

इस वर्ष यह दिन और भी अधिक महत्व रखता है। पिछले कुछ महीनों में कोरोना वायरस महामारी के कारण छात्रों की शिक्षा में बहुत अड़चने आईं।यदि हम दृष्टिबाधित और अल्प दृष्टिबाधित छात्रों की शिक्षा की बात करें तो वो तो मुख्यधारा से अलग ही हो गए हैं।
इसलिए इस वर्ष शिक्षकों के उस योगदान को सराहने का है, इस चुनौतीपूर्ण समय में भी बिना हौसला खोए बिना अपने दृष्टिबाधित बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम सेअपने साथ जोड़े रखा। ऐसा ही एक स्कूल उत्तर प्रदेश के नोएड़ा जिले में स्थित सक्षम स्कूल है, जिसे इस मौके पर विशेष उल्लेख की आवश्यकता है। सक्षम स्कूल के सभी अध्यापकों और अभिभावकों ने एक योद्धा की तरह इस अवसर में भी सीखने और सीखने की प्रक्रिया को जारी रखा।


ऑडियो तथा विड़ियो, ज़ूम तथा माइक्रोसॉफ्ट टीम के जरिए अपनी कक्षाओं का संचालन किया और निरंतर बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
दृष्टिबाधित बच्चों को सीखाने के लिए स्पर्श अनुभव का सहारा लेना पड़ता है। शिक्षकों ने अभिभावकों की उपस्थिति को सुनिश्चित किया और अपने पाछों को इस तरह ड़िज़ाइन करके अभिभावकों की मदद से बच्चों को ज्ञान दिया।यहाँ अभिभावकों की भूमिका भी अतुलनीय है।


सक्षम के एक वर्ग के दृष्टिबाधित छात्र मुख्यधारा से जुड़े स्कूलों का हिस्सा हैं। सक्षम के अध्यापकों ने उन्हें भी गृहकार्य आदि करवाने में मदद की । हमारे छात्र आज डिजिटल उपकरणों के माध्यम से इस कोरोना काल में भी मुख्यधारा से कटे नही।
दिलचप्स बातें यह हैं कि सक्षम के शिक्षकों ने देश के अन्य हिस्सों में बैठे दृष्टिबाधित बच्चों / छात्रों को अपने कार्यक्रम का हिस्सा बनाया।


सच में सक्षम के शिक्षकों को सलाम जिन्होंनें अहनी मेहनत, लगन और विशाल ह्रदय से इस चिंताजनक स्थिति में भी एक उज्ज्वल दुनिया की संभावनाओं पर रोशनी डाली। जहाँ एक उपकरण,डिजिटल साक्षरता और प्रतिबद्ध शिक्षकों ने बच्चों की सीखने की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित रखनो के लिए शिक्षा प्रणाली को सिदृढ़ करने में मदद की।

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