हर काम में बाधा आती है, लेकिन उसे चुनौती समझना ही उद्यमी सोच हें. मनिष सिसोदिया उपमुख्यमंत्री दिल्ली.

उपमुख्यमंत्री ने अशोका यूनिवर्सिटी के छात्रों को बताया सुशासन का राज, बोले-
”दिल्ली में हमने जनता से सीखा, नए प्रयोग किए ”

*”हर काम में बाधा आती है, लेकिन उसे चुनौती समझना ही उद्यमी सोच है”

नई दिल्ली, 30 अक्तूबर : 2020 – सबला उत्कर्ष न्यूज…

उपमुख्यमंत्री श्री मनीष सिसोदिया ने युवा पीढ़ी को उद्यमी सोच विकसित करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि अगर हम सपने देखते हैं, तो उन्हें सच करने के लिए एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट के साथ काम करना जरूरी है। श्री सिसोदिया ने कहा कि अगर हम अपने सपनों को सबकी आंखों से जोड़ दें, तो सफलता जरूर मिलेगी। गवर्नेंस और सोशल सेक्टर में पाॅलिसी रिसर्च की जरूरत बताते हुए श्री सिसोदिया ने स्टूडेंट्स को नए प्रयोगों की सलाह दी है।

अशोका यूनिवर्सिटी की ‘गवर्नेंस एंटरप्रेन्योरशिप मास्टर क्लास’ में स्टूडेंट्स से संवाद के दौरान श्री सिसोदिया ने दिल्ली सरकार के सुशासन प्रयोगों पर भी विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि हमारे देश में अफसर और राजनेता मिलकर शासन चलाते हैं, लेकिन सुशासन कैसे आए, इस पर पाॅलिसी इटरवेंशन और रिसर्च का महत्व अब तक नहीं समझा गया है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो हमने ‘दिल्ली डायलाॅग कमीशन‘ तथा अन्य माध्यमों से नए विचारों का स्वागत किया। इसके कारण हमें सुशासन के नए-नए प्रयोग करने में सफलता मिली।

स्टूडेंट्स के सवालों का जवाब देते हुए श्री सिसोदिया ने दिल्ली में सुशासन के विभिन्न प्रयोगों की निर्णय प्रकिया का खुलासा किया। उन्होंने बताया मोहल्ला क्लीनिक, सरकारी स्कूलों को शानदार बनाने, सरकारी सेवाओं की डोरस्टेप डिलेवरी, आउटकम बजट, वैट की दर घटाकर पांच फीसदी करने, बजट का 25 फीसदी हिस्सा शिक्षा पर खर्च, कौशल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय खोलने जैसे नीतिगत फैसले किस तरह लिए गए। श्री सिसोदिया ने कहा कि 2015 में हमारे स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के दौरे में पाया कि चार स्टाफ सिर्फ मरीजों के रजिस्टर भरने में लगे हैं। तब उन्होंने एक डाॅक्टर और एक कंपाउंडर वाले माहल्ला क्लीनिक का सफल प्रयोग किया।

श्री सिसोदिया ने कहा कि जब मैं वित्तमंत्री बना तो विभिन्न चीजों पर टैक्स लगाकर राजस्व बढ़ाने के सुझाव आए। लेकिन जब मैंने व्यापारियों से बात की, तो पता चला कि 12.5 फीसदी वैट होने के कारण लोग टैक्स चोरी करते हैं। हमने वैट घटाकर मात्र पांच फीसदी कर दिया। इससे हमारा राजस्व 26000 करोड़ से बढ़कर 60000 करोड़ हो गया। श्री सिसोदिया ने इसे गवर्नेंस के क्षेत्र में एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट का उदाहरण बताया।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि असली चुनौती हमारी सोच को बदलना है। प्रारंभ में मुझे सलाह दी गई कि सरकारी स्कूलों को निजी संस्थाओं या प्राइवेट स्कूलों के हवाले कर दिया जाए। लेकिन मैंने कहा कि पहले हमें खुद पर भरोसा करना होगा। हमारे स्कूलों में उच्चशिक्षित प्रतिभावान शिक्षक थे, लेकिन सबके मन में बैठा दिया गया था कि सरकारी स्कूल ऐसे ही रहेंगे। हमने इस माइंडसेट को बदला तो आज वही शिक्षक कमाल दिखा रहे हैं। श्री सिसोदिया ने कहा कि एक सौ या एक हजार बच्चों पर कोई प्रयोग करना एक अलग बात है, लेकिन हम पर एक ही समय में 40 लाख बच्चों की जिम्मेवारी थी। इतने बड़े स्केल के कारण चुनौती भी काफी बड़ी थी। लेकिन हमने अपनी टीम एजुकेशन पर भरोसा किया जिसके कारण यह सफलता मिली है।

उन्होंने कहा कि हर विभाग अपने लिए आबंटित पूरी राशि खर्च कर दे, यही सबका लक्ष्य रहता है। लेकिन हमने ‘आउटकम बजट’ का प्रयोग शुरू किया, उस खर्च का नतीजा क्या निकला, इसकी बात की। श्री सिसोदिया ने इसका उदाहरण देते हुए बताया कि अगर किसी अस्पताल में 20 करोड़ की एमआरआइ मशीन खरीदी गई, तो उससे कितने मरीजों को लाभ मिला, इसकी जानकारी लेना आउटकम बजट का प्रयोग है। इससे हमें अपने संसाधनों के समुचित उपयोग का अवसर मिला।

इस दौरान श्री सिसोदिया ने आरटीआइ और जनलोकपाल आंदोलन के अनुभवों की चर्चा करते हुए आम आदमी पार्टी के गठन की प्रक्रिया पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि नीतिगत प्रयोगों में हमें जनता को साथ लेना जरूरी है। अगर हम किसी सड़क को वन-वे करना चाहते हों, तो हमें स्थानीय जनता को उसकी जरूरत भी समझानी होगी। श्री सिसोदिया ने एक इंजीनियर मित्र का उदाहरण दिया, जो नौकरी छोड़कर मध्यप्रदेश में अपनी पंचायत के सरपंच बन गए। लेकिन वह ग्रामीणों को स्वच्छता का महत्व नहीं समझा पाने के कारण निराश थे। श्री सिसोदिया ने कहा कि गांव स्वच्छ हो, यह सिर्फ आपका सपना न हो, बल्कि पूरे गांव का यह सपना हो, तभी सफलता मिलेगी।

श्री सिसोदिया ने इंडिया अगेन्स्ट करप्शन आंदोलन का भी उल्लेख किया। कहा कि उस वक्त हमने भ्रष्टाचार मुक्त भारत के अपने सपने को देश के सपनों से जोड़ दिया था। इसके कारण हमें सफलता मिली। श्री सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण न हो, इसकी जरूरत सभी लोग महसूस करेंगे, तभी सफलता मिलेगी। अगर हम सिर्फ अपने जुनून पर काम करेंगे, तो सफलता शायद ही मिले। लेकिन किसी विचार को अगर जनता खुद अपना लेगी, तो सफलता मिलेगी। श्री सिसोदिया ने महात्मा गांधी के चंपारण आंदोलन का उदाहरण भी दिया। कहा कि नील की खेती से परेशान 40 हजार किसानों के हस्ताक्षर लाने की गांधी जी जिद के कारण यह आम जनता का आंदोलन बना।

श्री सिसोदिया ने कहा कि एक संस्था के बतौर राजनीति को भ्रष्टाचार की जगह मान लिया गया है। जब हमारी सरकार बनी तो कई लोगों को लगता था कि उनके नाजायज काम हो जाएंगे। लेकिन सबका माइंडसेट बदलकर यह समझाने में काफी वक्त लगा कि हम ईमानदारी से काम करने आए हैं। श्री सिसोदिया ने सामाजिक उद्यमिता की जरूरत बताते हुए कहा कि अगर अपने जुनून को लोगों के सपनों से जोड़ दो, तो सफलता जरूर मिलेगी, वरना सफलता का कोई शाॅर्टकट नहीं है।

छात्रों के जवाब में श्री सिसोदिया ने कहा कि राजनीति ही नहीं, किसी भी क्षेत्र में सफलता मिलना आसान नहीं होता। आप एक दुकान खोलकर बैठोगे तो भी गारंटी नहीं कि शाम को मुनाफा कमाकर ही घर लौटोगे। असल चीज यह है कि सफलता तक पहुंचने के लिए जिस उद्यमी सोच की जरूरत है, उस चुनौती के लिए हम कितने तैयार हैं। श्री सिसोदिया ने कहा कि अगर आपके सपने आपको बेचैन करते हों, तो सफलता जरूर मिलेगी। मुख्यमंत्री जी ने मुझसे वित्तमंत्री के तौर पर शिक्षा को चुनने कहा तो हमने बजट का 25 फीसदी शिक्षा पर रख दिया। हमने सपना देखा है कि शिक्षा के जरिए देश बदलेंगे और इसमें पूरी ताकत के साथ जुटे हैं। देश भर से लोग साथ आ रहे हैं और कारवां बन रहा है।

श्री सिसोदिया ने दिल्ली कौशल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय की भी जानकारी देते हुए कहा कि इससे आने वाले समय में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि अभी शिक्षा में सिर्फ सफलता सिखाई जाती है। असफल होने पर कुछ बच्चे आत्महत्या तक कर लेते हैं। शेष बच्चे मानसिक तौर पर टूट जाते हैं। लेकिन जब हम उद्यमिता की सोच पैदा कर देंगे तो बच्चे अपनी असफलता से भी सीखेंगे।

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