योगी कैबिनेट का फैसला: अब अयोध्या एयरपोर्ट का नाम होगा मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हवाई अड्डा…

लखनऊ : सबला उत्कर्ष न्यूज नेटवर्क :- उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में अयोध्या एयरपोर्ट को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया है. योगी सरकार ने अयोध्या एयरपोर्ट (Ayodhya Airport) का नामकरण मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हवाई अड्डा अयोध्या किए जाने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है. मंगलवार को हुए मंत्रिपरिषद की अहम बैठक में अयोध्या स्थित एयरपोर्ट का नामकरण मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हवाई अड्डा अयोध्या किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति मिली. इसके साथ ही एयरपोर्ट का नाम बदलने के संबंध में विधानसभा में पारित करने के लिए प्रस्तावित संकल्प के आलेख को भी अनुमोदित कर दिया गया है. मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित इस संकल्प को राज्य विधानसभा से पारित कराकर प्रस्ताव नागर विमानन मंत्रालय को भेजा जाएगा.वहीं देश के दूसरे राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी ‘लव जिहाद’ (Love Jihad) के खिलाफ कानून लाने पर योगी सरकार ने अंतिम मुहर लगा दी है. उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने विवाह के लिए अवैध धर्मांतरण रोधी कानून के प्रस्ताव को मंगलवार को मंजूरी दे दी. राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में शादी के लिए धोखाधड़ी कर धर्मांतरण किए जाने की घटनाओं पर रोक लगाने संबंधी कानून के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. कैबिनेट में प्रस्ताव पास होने के बाद 15- 50 हजार तक का जुर्माना का प्रवधान है. वहीं शादी के नाम पर धर्म परिवर्तन अवैध घोषित कर दिया गया है. अगर कोई भी ग्रुप धर्म परिवर्तन कराता है तो उसे 3 से 10 साल की सजा होगी.
50 हजार रुपये तक का जुर्मानाउधर, धर्मगुरु धर्म परिवर्तन कर आता है तो उसे डीएम से अनुमति लेनी होगी. कानून के तहत जो धर्म परिवर्तन करेगा उसे भी जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी. यदि कोई सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन कर आता है तो उसे 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा. यदि ऐसा करने वाला कोई संगठन है तो उसकी मान्यता रद्द हो सकती है. उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई हो सकती है. इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों कथित ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून बनाने का ऐलान किया था. दरअसल पहले स्टेट लॉ कमीशन ने अपनी भारी-भरकम रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी, जिसके बाद यूपी के गृह विभाग ने बाकायदा इसकी रूपरेखा तैयार कर न्याय एवं विधि विभाग से अनुमति ली.

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